gk question answer- सामान्य विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
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जनरल नॉलेज विज्ञान के मह्तवपूर्ण एग्जाम नोट्स हिंदी में |
⏩ डॉप्लर प्रभाव क्या हैं (Doppler Effect)
इस प्रकार को
आँस्ट्रिया के भौतिकीवेत्ता क्रिस्चियन जॉन डॉप्लर ने सन् 1842 ई में प्रस्तुत
किया था। इसके अनुसार श्रोता या स्त्रोत की गति के कारण किसी तरंग या प्रकाश तरंग
की आवृत्ति बदली हुई प्रतीत होती है अर्थात् जब तरंग के स्त्रोत और श्रोता के बीच
आपेक्षित गति होती है तो श्रोता को तरंग की आवृत्ति बदलती हुई प्रतीत होती है।
आवृत्ति बदली हुई प्रतीत होने की घटना को डॉप्लर प्रभाव कहते है। इसकी निम्न
स्थितियाँ होती है
जब आपेक्षित गति
के कारण स्त्रोत के बीत की दूरी घट रही होती है, तब आवृत्ति बढ़ती हुई प्रतीत होती
है।
जब आपेक्षित गति
से श्रोता तथा स्त्रोत के बीत दूरी बढ़ रही होती है तब आवृत्ति घटती हुई प्रतीत
होती है।
डॉप्लर प्रभाव कते
कारण ही जब रेलगाड़ी का इजन सीटी बजाते हुए श्रोता के निकट आता है तो उसकी ध्वनि
बड़ी तीखी अर्थात् अधिक आवृ्त्ति की सुनायी देती है और जैसे ही इंजन श्रोता को पार
करके दूर जाने लगता है तो ध्वनि मोटी कम आवृत्ति की सुनायी देने लगती है।
⏩ प्रकाश में डॉप्लर का क्या प्रभाव पड़ता है
प्रकाश तरंगे भी
डॉप्लर प्रभाव दर्शाती है। ध्वनि में डॉप्लर प्रभाव असममित होता है, जबकि प्रकाश
में डॉप्लर प्रभाव सममित होता है।
इसका तात्पर्य यह है कि ध्वनि में डॉप्लर प्रभाव इस बात पर निर्भऱ करता है कि ध्वनि स्त्रोत श्रोता की ओर आ रहा है या उससे दूर जा रहा है।
इसके विपरीत प्रकाश में डॉप्लर प्रभाव केवल प्रकाश स्त्रोत व दर्शक के बीत आपेक्षित वेग पर निर्भऱ करता है इस बात पर नही कि स्त्रोत व दर्शक के बीच आपेक्षित वेग पर निर्भर करता है इस बात पर नही कि स्त्रोत द्वारा सुदूर तारों व गैलेक्सियों के पृथ्वी के सापेक्ष वेग तथा उनकी गति की दिशा ज्ञात की जाती है।
खगोलज्ञ एडविन हब्बल ने डॉप्लर प्रभाव द्वारा ही यह ज्ञात किया था कि विश्व का विस्तार हो रहा है। तारे के प्रकाश के वर्णक्रम का अध्ययन करके प्रकाश की आवृत्ति में हुए परिवर्तन का पता लगाया जा सकता है।
यदि कोई तारा या गैलेक्सी पृथ्वी की ओर आ रहा है तो उसे प्राप्त प्रकाश का तरंगदैर्ध्य स्पेक्ट्रम के बैंगनी सिरे की ओर विस्थापित होता है और यदि तारा या गैलेक्सी पृथ्वी से दूर जा रहा है,
यदि स्पेक्ट्रम में प्रकाश रेखा बैंगनी सिरे की ओर विस्थापित होती है तो प्रकाश का स्त्रोत तारा गैलेक्सी पृथ्वी की ओर आ रहा है और यदि वह लाल सिरे की ओर विस्थापित हो रहा है, तो प्रकाश स्त्रोत तारा गैलेक्सी पृथ्वी से दूर जा रहा है।
इसका तात्पर्य यह है कि ध्वनि में डॉप्लर प्रभाव इस बात पर निर्भऱ करता है कि ध्वनि स्त्रोत श्रोता की ओर आ रहा है या उससे दूर जा रहा है।
इसके विपरीत प्रकाश में डॉप्लर प्रभाव केवल प्रकाश स्त्रोत व दर्शक के बीत आपेक्षित वेग पर निर्भऱ करता है इस बात पर नही कि स्त्रोत व दर्शक के बीच आपेक्षित वेग पर निर्भर करता है इस बात पर नही कि स्त्रोत द्वारा सुदूर तारों व गैलेक्सियों के पृथ्वी के सापेक्ष वेग तथा उनकी गति की दिशा ज्ञात की जाती है।
खगोलज्ञ एडविन हब्बल ने डॉप्लर प्रभाव द्वारा ही यह ज्ञात किया था कि विश्व का विस्तार हो रहा है। तारे के प्रकाश के वर्णक्रम का अध्ययन करके प्रकाश की आवृत्ति में हुए परिवर्तन का पता लगाया जा सकता है।
यदि कोई तारा या गैलेक्सी पृथ्वी की ओर आ रहा है तो उसे प्राप्त प्रकाश का तरंगदैर्ध्य स्पेक्ट्रम के बैंगनी सिरे की ओर विस्थापित होता है और यदि तारा या गैलेक्सी पृथ्वी से दूर जा रहा है,
यदि स्पेक्ट्रम में प्रकाश रेखा बैंगनी सिरे की ओर विस्थापित होती है तो प्रकाश का स्त्रोत तारा गैलेक्सी पृथ्वी की ओर आ रहा है और यदि वह लाल सिरे की ओर विस्थापित हो रहा है, तो प्रकाश स्त्रोत तारा गैलेक्सी पृथ्वी से दूर जा रहा है।
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